तेरा मर्तबा जितना बड़ा तेरी सोच उतनी जदीद है |
मुझे दोस्त तू जबसे मिला मेरा दिल तो तेरा मुरीद है ||
तू हमीद है तू करीम है तू हबीब है तू वहीद है |
हर हाल में तेरी हर रज़ा मुझे मुद्दतों से मुफ़ीद है ||
तेरे कितने ऊँचे ख़याल हैं तेरा कितना ऊँचा वक़ार है |
मेरे सामने तेरा अक्स हो तो मैं मान लू कि मजीद है ||
मेरे घर में तेरी ये हाजिरी तेरी रूह में ये जो सादगी |
तुझे क्या बताऊँ मेरे लिए तेरी दीद कितनी सईद है ||
तेरा हाथ कितना खुला हुआ तेरी रहमतें हैं ये बेहिसाब |
यूँ लुटा रहा है रहीम सा न गवाह कुछ न रसीद है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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